क्या इस दिवाली पेट्रोल-डीजल के घटेंगे दाम? उम्मीद कम... ये हैं वजहें

[फेसबुक खोलो] 时间:2023-11-30 08:44:24 来源:आज का तापमान क्या रहेगा 作者:তাপমাত্রা আজকের 点击:11次
महंगाई (Inflation) के इस माहौल में त्योहारों की रौनक किसी तरह से बरकरार है. लेकिन अगर इस बार महंगाई का ये मायूस करने वाला दौर ना होता तो फिर त्योहारों की इस रौनक में चार चांद लग जाते. पिछले साल दिवाली (Dewali) से पहले सरकार ने भी महंगाई घटाकर लोगों को फेस्टिव गिफ्ट (Festive Gift) दिया था. दरअसल,क्याइसदिवालीपेट्रोलडीजलकेघटेंगेदामउम्मीदकमयेहैंवजहें पिछले साल सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) घटाकर लोगों को महंगाई से राहत दी थी. लेकिन इस साल अगर आपको फिर से इस तरह की कोई उम्मीद है तो ये मान लीजिए कि इस बार ऐसा करने की संभावना ना के बराबर है. इस बार ऐसा कोई तोहफा सरकार के पास देने की गुंजाइश नहीं बची है.इस बार दुनिया में जिस तरह से रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल की कीमतों ने ऊंचाई का दामन थामकर रखा है उसकी वजह से तेल कंपनियों को भारी घाटे का सामना करना पड़ा है. वैसे तो तेल कंपनियों को ये छूट है कि वो अंतररष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक ही पेट्रोल-डीजल के रेट घटा बढ़ा सकती हैं. लेकिन कई बार राजनीतिक और कभी महंगाई को थामने की रणनीति या फिर सरकार के नीतिगत फैसलों की वजह से इस आजादी को फायदा तेल कंपनियां नहीं उठा पाता हैं. ऐसे में कच्चे तेल के ऊंचे दाम और बढ़ती लागत के बावजूद तेल कंपनियों ने लंबे समय से दाम नहीं बढ़ाए हैं. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ना होने से रेटिंग और रिसर्च एजेंसी मूडीज का अनुमान है कि पेट्रोल-डीजल की स्थिर कीमतों से तेल कंपनियों को बीते 9 महीनों में 7 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. ये हालात तब हैं जबकि सरकार ने हाल ही में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को सस्ती गैस बेचने पर हुए घाटे की भरपाई के लिए 22 हजार करोड़ की मोटी रकम दी है.ऐसे में तेल कंपनियों के पास तो ये गुंजाइश बची ही नहीं है कि वो पेट्रोल-डीजल के दाम घटाएं. मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को नवंबर 2021 से अगस्त 2022 के बीच 57 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. इसमें इंडियन ऑयल को सबसे ज्यादा 24 हज़ार करोड़, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को 13 हज़ार करोड़ से 15 हज़ार करोड़ के बीच नुकसान होने का अनुमान है.तेल कंपनियों को हुए नुकसान की बड़ी वजह कच्चे तेल की कीमतों में आया उछाल है. दरअसल, जनवरी से अगस्त 2022 के बीच ब्रेंट क्रूड का औसत भाव 104 डॉलर प्रति बैरल रहा है. नवंबर 2021 में ब्रेंट क्रूड का औसत भाव 80 डॉलर प्रति बैरल था. सितंबर से जरुर कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से कम रही हैं. लेकिन तेल कंपनियों ने लंबे समय से दाम नहीं बढ़ाए हैं. इस वजह से कच्चे तेल के बढ़ने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ना होने से उन्हें भारी घाटा हुआ हैतेल कीमतों में राहत उसी सूरत में मिलेगी जब या तो कच्चा तेल सस्ता हो या फिर सरकार अपनी तरफ से राहत दे. फिलहाल मंदी की आशंका के चलते कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ी कमी नजर आ रही है. ऐसे में अगर इनमें और गिरावट आई तो भी तेल कंपनियां पहले अपने घाटे की भरपाई करेंगी और उसके बाद ही लोगों को राहत पहुंचाएंगी. यानी ये तो एक लंबी किंत-परंतु के फेर में अटकने वाला अनुमान है. मौजूदा हालात में सरकारी खजाने पर दबाव के चलते सरकार के पास भी एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. हाल ही में सरकार ने फर्टिलाइजर और फूड सब्सिडी को बढ़ाया है. इसके अलावा गेहूं के MSP में भी बढ़ोतरी की गई है. इन सबके चलते सरकार के पास भी राहत देने के विकल्प ना के बराबर हैं. ऐसे में इस बार दिवाली पर लोगों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

(责任编辑:कन्या राशिफल)

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